कोविड 19 महामारी में महिला सशक्तिकरण एवं आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन हेतु पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा की पहल
कोविड 19 महामारी के कारण पूरा विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। भारत मे भी कोविड महामारी के कारण बेरोजगारी बढ़ गयी है। ऐसी स्थिति में भारत के प्रधानमंत्री जी द्वारा भारत को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने का संकल्प लिया गया है। उ0प्र0पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा द्वारा अपने देश व प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रयास प्रारम्भ कर दिये गये है।
पशुचिकित्सा विश्व्विद्यालय मथुरा द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने हेतु बकरी पालन पर प्रशिक्षण प्रारम्भ कर दिया गया है। प्रशिक्षण के समन्वयक डा0 मुकुल आनन्द द्वारा बताया गया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उददेश्य महिलाओं को बकरी पालन से जुडी आधुनिक जानकारी तथा व्यक्तिगत प्रशिक्षण प्रदान कर आय के नये अवसरों को उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाना है। प्रशिक्षण में न केवल बकरी पालन व प्रबन्धन से जुडे पहलुओं को महिलाओं एवं किशोरियों को बताया गया अपितु बकरी से जुडे अन्य आय के स्रोत जैसे कि बकरी के दूध का उपयोग व व्यापार, बकरी के बचे हुए खाने से वर्मी कम्पोस्ट व बकरी की मिगडी से उर्वरक खाद बनाने की विधियों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी एवं व्यक्तिगत प्रशिक्षण कराया गया। इस दौरान बकरी पालन से जुडे संवेदनशील पहलू जैसे कि बच्चों की मृत्यु दर के कारण व उसका निदान एवं बकरियों में बाझपन की समस्या को कम करने हेतु ली जाने वाली सावधानी के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गयी।
मथुरा विश्वविद्यालय द्वारा आगरा कैथोलिक डायोसिस समाज सेवा संस्था के सहयोग से महिला पशुपालको हेतु आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण (12.010.2020 से 14.10.2020) कार्यक्रम आधुनिक बकरी पालन एवं प्रबन्धन में 38 महिलाओं एवं किशोरियों ने प्रतिभाग किया। आज 14.10.2020 को प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात् इन महिलाओं एवं किशोरियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने उपरान्त प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। समापन समारोह में डा0 अरुण कुमार मदान, विभागाध्यक्ष शरीर क्रिया विज्ञान विभाग द्वारा सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता प्रो0 पीके शुक्ला द्वारा किशोरियों एवं महिलाओं को बकरी पालन से आय वृद्धि मे सहयोग पर प्रकाश डाला, इस प्रशिक्षण से प्राप्त किये जाने वाले लाभों के विषय में प्रकाश डाला तथा सभी प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय प्रशिक्षण उपरान्त सदैव प्रतिभागियों की सहायता हेतु तत्पर रहेगा। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय बकरी पालन से जुडे विभिन्न आयाम जैसे कि अच्छे वीर्य एवं अच्छी बकरियों एवं आधुनिक जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर फादर एन्टोनी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सराहते हुए विश्वविद्यालय द्वारा महिला सशक्तिरण एवं आत्मनिर्भरता के इस कार्यक्रम में सहयोग हेतु विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त किया। उन्होने अपने सम्बोधन मे कहा कि यदि हम एक दूसरे के सहयोग से इस प्रकार के कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संचालित कर पाये तो निकट भविष्य में आत्मनिर्भर का स्वप्न पूर्ण हो पायेगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे श्री पदम जी उत्तराखण्ड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार प्रमुख ने सिद्धत की। अपने सम्बोधन में उन्होने कहा कि बकरी पालन, पशुपालन का एक अभिन्न अंग है, जो कि मुख्य रुप से लघु सीमान्त एवं भूमिहीन किसानों की आय वृद्धि में अहम भूमिका रखता है। इस प्रकार के आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन प्रदान करने वाले कार्यक्रमों को संचालित कर हम समाज के गरीब तबके के लोगो को आय अर्जन में सहयोग कर पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी के स्वप्न को पूर्ण करने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होने विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय का इस प्रकार के प्रशिक्षणों को प्रोत्साहन देने एवं सफलतापूर्वक संचालित कराने हेतु आभार व्यक्त किया। उन्होने इस कार्यक्रम को महिला सशक्तिकरण एवं आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूर्ण करने हेतु महत्वपूर्ण प्रयास बताया। इस अवसर पर महिलाओं को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 जीके सिंह ने कहा कि बकरी गरीब की गाय है और आने वाले समय मे यह पशु खाद्य सुरक्षा एवं आय अर्जन में एक अहम भूमिका निभाएगा। अपने सम्बोधन में उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा बकरी प्रक्षेत्र की स्थापना का मुख्य उददेश्य किसानों, पशुपालकों मुख्यतः लघु सीमान्त भूमिहीन की आय में वृद्धि करना है जिस ओर विश्वविद्यालय अग्रसर है। उन्होने कहा कि यह मेरे और मेरे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है कि कोविड 19 महामारी के परिवेश में जिस कार्यक्रम की अत्यन्त आवश्यकता है उसे विश्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किया गया है तथा उस उददेश्य मेे भी महिला वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने से इस कार्यक्रम को प्रारम्भ करना विश्वविद्यालय परिवार को गौरव की अनुभ्ूाति कराता है। इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर उन्होने अधिष्ठाता, फादर एन्टोनी, फादर शिबू कुरियाकोश, निदेशक शोध एवं शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को इस नई पहल एवं महत्वपूर्ण कार्यक्रम को प्रारम्भ करने हेतु धन्यवाद दिया। अन्त में डा0 मुकुल आनन्द, प्रशिक्षण समन्वयक द्वारा इस कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डा0 बृजेश यादव, डा0 दिलीप स्वैन तथा कर्मचारी श्री ईश्वर चन्द्र, श्री दीपेन्द्र चैधरी, श्री भुवनेश झा, विद्यार्थी श्री राहुल धारिया एवं डा0 सुनील यादव आदि उपस्थित रहें।